शराब पिलाकर पत्नी ने पति के दोस्तों से ही करवा दी उसकी हत्या– News18 हिंदी
शराब पिलाकर पत्नी ने पति के दोस्तों से ही करवा दी उसकी हत्या
मंगलवार को मृतक सचिन अपने साथी जीतू, मोंटू और पत्नी हेमा के साथ नीमखेड़ा गया था, जहां सभी ने मिलकर शराब पी. इस दौरान सचिन का जीतू और मोंटू से विवाद हो गया. तीनों के बीच विवाद इतना बढ़ गया कि जीतू और मोंटू ने सचिन पर चाकू से ताबड़तोड़ हमला कर दिया.
पुलिस द्वारा गिरफ्तार मृतक की पत्नी
Updated: January 30, 2019, 10:58 AM IST
मामले की जानकारी देते हुए एएसपी डॉ. संजीव का कहना है कि मंगलवार को मृतक सचिन अपने साथी जीतू, मोंटू और पत्नी हेमा के साथ नीमखेड़ा गया था, जहां सभी ने मिलकर शराब पी. इस दौरान सचिन का जीतू और मोंटू से विवाद हो गया. तीनों के बीच विवाद इतना बढ़ गया कि जीतू और मोंटू ने सचिन पर चाकू से ताबड़तोड़ हमला कर दिया.
घटना के बाद जीतू और मोंटू फरार हो गए, जबकि मृतक की पत्नी हेमा अपने आपको बचाने के लिए पति सचिन के पास रुक गई. स्थानीय लोगों ने इसकी सूचना गौर पुलिस चौकी को ती, जिसके बाद पुलिस ने घायल सचिन को मेडिकल कॉलेज पहुंचाया, जहां उसकी मौत हो गई. पुलिस के अनुसार सचिन और मोंटू का प्रोपर्टी को लेकर विवाद चल रहा था. आपको बता दें कि सचिन जिला बदर का आरोपी था और मोंटू हाल ही में जेल से छूटकर आया था. पुलिस मामले में तीसरे आरोपी जीतू की तलाश कर रही है.
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स्वाइन फ्लू का कहर, मध्यप्रदेश में अब तक 10 लोगों की मौत, 22 पॉजिटिव
फाइल फोटो
ठंड के साथ ही मध्यप्रदेश में स्वाइन फ्लू का कहर भी बढ़ता जा रहा है. पारा गिरते ही प्रदेशभर में स्वाइन फ्लू का वायरस एक्टिव हो गया है. हालात ये हैं कि राजधानी भोपाल में एक माह में ही स्वाइन फ्लू के 22 मरीज पॉजिटिव मिले हैं, जिनमे से तीन की मौत हो चुकी है. इंदौर में भी एक माह में 5 स्वाइन फ्लू के मरीजों की मौत हो चुकी है, जबकि जबलपुर और ग्वालियर में भी एक-एक मरीज की मौत की पुष्टि हुई है.
साल 2019 का पहला महीना ही गुजरा है और मध्यप्रदेश में स्वाइन फ्लू के मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है. प्रदेश में अब तक स्वाइन फ्लू से 10 लोगों की मौत हो चुकी है. राजधानी भोपाल में पिछले साल में जहां कुल 35 मरीज स्वाइन फ्लू के मिले थे, वहीं इस साल 30 दिनों में यह आंकड़ा 26 तक तो पहुंच चुका है. भोपाल, जबलपुर, ग्वालियर और इंदौर में अब तक स्वाइन फ्लू के मरीजों की मौत की खबर आ चुकी है.
जहां लो ठंड के कारण काफी प्रभावित हो रहे हैं वहीं स्वाइन फ्लू भी प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग के लिए एक बड़ी चुनौती बन गयाहै. सीएमएचओ एनयू खान का कहना है कि शहरवासियों को स्वाइन फ्लू से बचाने के लिए हमीदिया अस्पताल और एम्स में वायरोलॉजी लैब है, जिसमें स्वाइन फ्लू की जांच ऑन टाइम हो रही है, लेकिन अगर ग्रामीण क्षेत्रों की बात करें तो उनके पास इलाज के नाम पर प्राइमरी कम्युनिटी हेल्थ सेंटर है जो सिरफ आशा सहयोगियों के दम पर चल रहा है.
प्रदेश में स्वाइन फ्लू जैसी खतरनाक बीमारी से बचने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने गांवों में कोई शिविर तक नहीं लगाया और न ही ग्रामीणों को जागरूक करने के लिए कोई अभियान चलाया. स्वास्थ्य विभाग की सभी सुविधाएं केवल शहरवासियों तक ही सीमित रह जाती है. इस मामले में जब स्वास्थ्य मंत्री तुलसी सिलावट से जब सवाल किया गया तो उन्होंने चुप्पी साथ ली और कहा कि वे इस विषय पर जवाब देने के लिए अधिकृत नहीं है.
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व्यापम घोटाला: फरार चल रहे 12 आरोपियों की संपत्ति जब्त
व्यापम
मध्यप्रदेश का बहुचर्चित व्यापम घोटाले केस में फरार चल रहे 12 आरोपियों की संपत्ति राजसात होगी. भोपाल जिला कोर्ट की विशेष न्यायाधीश भागवत प्रसाद पांडे की अदालत ने लंबे समय से पीएमटी-2012 परीक्षा में हुई गड़बड़ी के मामले में 23 नवंबर 2017 से फरार चल रहे 12 आरोपियों की संपत्ति राजसात करने के निर्देश दिए हैं.
कोर्ट के निर्देश के बाद सीबीआई ने सभी आरोपियों की संपत्ति की जानकारी जुटाना शुरू कर दिया है. संपत्ति की जानकारी जुटाकर जल्द सीबीआई संपत्ति राजसात करने की अर्जी अदालत में पेश करेगा. सीबीआई ने मामले के आरोपी सुरेश सिंह भदौरिया और डॉक्टर पवन भवानी के फरार होने की जानकारी अदालत को दे चुकी है.
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वहीं अन्य दस आरोपियों की गिरफ्तारी के लगातार प्रयास किए जाने की भी जानकारी रिपोर्ट बनाकर पेश की थी. इनमें इंडेक्स मेडिकल कॉलेज के सुरेश कुमार भदौरिया, डॉक्टर पवन भवानी, पंकज कुमार वर्मा, विवेक कुमार सैनी, प्रेम धर वर्मा, गुलाबचंद, अनुज कुमार मौर्य, जितेंद्र बारसेना, अनिल कुमार, अकरम आलम, सुभाष सिंह, अभीवरण सिंह, मनोज कुमार निषाद, सुमन कुमार और आनंद कुमार शामिल हैं. इस मामले में सीबीआई ने 23 नवंबर 2017 को 592 आरोपियों के खिलाफ चालान पेश किया था.
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कर्जमाफी के बाद मध्यप्रदेश के लोगों का बिजली बिल होगा हाफ, सरकार ने की तैयारी
सीएम कमल नाथ ( फाइल फोटो )
लोकसभा चुनाव से पहले कमल नाथ सरकार मध्यप्रदेश की बड़ी आबादी को खुश करने जा रही है. कर्जमाफी के बाद अब सरकार ने बिजली के बिल माफ करने का प्लान बनया है, जिसे चुनाव से पहले सरकार अमल में लाने जा रही है. कर्जमाफी के बाद बिल माफी कमल नाथ सरकार के लिए मास्टर स्ट्रोक साबित हो सकता है.
लोकसभा चुनाव से पहले मोदी सरकार के लोक लुभावन वायदों का कमल नाथ सरकार ने जवाबी प्लान तैयार किया है. कर्जमाफी के एलान के बाद कमल नाथ सरकार अब बिजली माफी योजना का खाका तैयार कर रही है. कांग्रेस ने अपने वचन पत्र में शामिल कर्जमाफ और बिजली बिल हाफ पर काम करना तेज कर दिया है. मध्यप्रदेश के 55 लाख किसानों की कर्जमाफी के बाद कांग्रेस सरकार अब 60 लाख बिजली उपभोक्ताओं के बिजली बिल हाफ करने जा रही है. इसको लेकर सरकार ने होमवर्क पूरा कर लिया है, जिसे चुनाव से पहले सरकार अमल में लाने का काम करने जा रही है.
मध्यप्रदेश सरकार के ऊर्जा मंत्री प्रियव्रत सिंह ने बिजली बिल माफी योजना के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि सरकार की इस योजना का सौ यूनिट तक के बिजली उपभोक्ताओं को लाभ मिलेगा. इसके तहत प्रदेश के करीब 60 लाख उपभोक्ताओं को सीधे लाभ पहुंचेगा. उन्होंने बताया कि सौ यूनिट पर बिजली उपभोक्ताओं का बिल मात्र सौ रुपये ही आएगा. योजना पर अमल करने पर मध्यप्रदेश सरकार पर हर साल करीब 1500 करोड़ रुपये का अतिरिक्त भार आयेगा. कमल नाथ सरकार की इस योजना में दस हार्स पावर बिजली खर्च करने वाले किसान भी शामिल होंगे.
राज्य सरकार का दावा है कि लोकसभा चुनाव 2019 से पहले अपने वचन पत्र पर अमल कर लोगों को कांग्रेस सरकार के अच्छे दिनों का अहसास कराने का काम करेगी और आगामी विधानसभा सत्र में सभी बड़े एलान के लिए जरूरी बजट का प्रावधान भी किया जाएगा. वहीं कर्जमाफी के बाद बिजली बिल माफी पर भाजपा का कहना है कि कांग्रेस सरकार बातें ज्यादा करती है और काम कम करती है. एक तरफ जहां चुनाव के करीब 70 दिन पहले मोदी सरकार ने अपने बजट में बड़ी योजनाओं का ऐलान कर देश की जनता को खुश करने की कोशिश की है, वहीं दूसरी तरफ मध्य प्रदेश में कांग्रेस सरकार 18 फरवरी से शुरू होने वाले बजट सत्र में अपने वचनों को निभाने की कोशिशों में जुटी है.
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एमपी पुलिस सख्त: अब रेप की फर्जी शिकायतों पर यूं लगेगी लगाम!
File Photo
मध्य प्रदेश की भोपाल पुलिस अब झूठी रेप की शिकायतों के खिलाफ सख्त होने जा रही है. पुलिस अपनी जानकारी के लिए रेप से जुड़े मामलों के पुराने आंकड़े निकालेगी जिसमें देखेगी की पीड़ित पक्ष ने घटना के कितने समय बाद थाने में अपनी रिपोर्ट दर्ज कराई है.
इसके अलावा रेप की घटना होने के कई साल बाद शिकायत दर्ज कराने के मामलो को भी पुलिस अब गंभीर रूप से जांच करेगी. ताकि पुलिस इस तरह के गंभीर संवेदनशील मामलों में सही जांच कर सके.
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गौरतलब है कि कई मामलों में बलात्कार संबंधित शिकायत सालों बाद की जाती है, जिसमें कई बार महिला की शिकायत फर्जी भी निकलती है या बाद में खुद महिला ही केस वापस ले लेती है. लेकिन इस दौरान दूसरे पक्ष को काफी परेशानी से दो चार होना पड़ता है.
यही कारण है कि अब पुलिस प्रशासन पुराने केस से ही स्टडी करके जानना चाहता है कि पुराने कितने मामलों में शिकायत में कितनी देरी हुई या घटना के कितने दिन बाद प्रकरण दर्ज कराया गया और कितने मामलों में आरोप सही पाए गये. इस पूरे एंगल को लेकर नव नियुक्त भोपाल साउथ एसपी संपत उपाध्यय ने पुरानी फाइलों को खुलवा जांच शुरु की है.
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