पति की निर्मम हत्या की आरोपिया पत्नी को आजीवन कारावास व अर्थदण्ड से दण्डित किया PratapgarhNews :: pressnote.in
13/12/2018
पति की निर्मम हत्या की आरोपिया पत्नी को आजीवन कारावास व अर्थदण्ड से दण्डित किया
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प्रतापगढ | जिला एवं सत्र न्यायाधीश श्री राजेन्द्र कुमार शर्मा ने एक महत्वपूर्ण प्रकरण में निर्णय पारित करते हुए अपने पति की सोई हुई अवस्था में कुल्हाडी से निर्मम हत्या करने की आरोपिया पत्नी को आजन्म कारावास एवं ५०००/- रूपये के अर्थदण्ड से दण्डित किया।
लोक अभियोजक तरूणदास वैरागी ने जानकारी देते हुए बताया कि जिले के सुहागपुरा थाने में प्रार्थी उंकार पिता नागजी मीणा निवासी धारियाखेडी ने एक लिखित रिपोर्ट इस आशय की पेश की कि दिनांक १५.०५.२०१६ को रात्री में वह चोक में सोया हुआ था और पडाल में उसका लडका भैरू पत्नी दूर्गा सोये हुए थे कि ११ः०० बजे उसने चिल्लाने की आवाज सुनी तो देखा की दूर्गा ने कुल्हाडी से भैरू को मार दिया और भैरू लहुलुहान पडा था। कुल्हाडी फेंककर दूर्गा वहां से भाग गई। इस पर पुलिस ने प्रकरण संख्या ५१/१५ अन्तर्गत धारा ३०२ आईपीसी में प्रकरण दर्ज कर अनुसंधान प्रारम्भ किया। मौके से कुल्हाडी खून आलूदा मिट्टी लेकर अभियुक्ता को अगले दिन डिटेन किया। अभियुक्ता उस समय साढे सत्रह वर्ष की नाबालिग होने से उसे उदयपुर बाल सम्प्रेषण गृह में भेजा गया। बाद में अभियुक्ता के मानसिक व शारिरीक परीक्षण कर किशोर न्याय बोर्ड ने नये कानून में संशोधन के तहत उसकी ट्रायल बालिग की तरह किये जाने का निर्णय किया। जिससे सेशन कोर्ट में प्रकरण कमिट होकर अभियुक्ता के विरूद्ध विचारण प्रारम्भ हुआ।
अभियोजन पक्ष की ओर से ११ गवाह एवं २१ दस्तावेजी साक्ष्य न्यायालय में प्रस्तुत किये गये। दोनों पक्षों की बहस सुनकर न्यायालय ने अभियोक्त्री को दोषसिद्ध माना व सजा के बिन्दू पर सुनवाई कर न्यायालय के मत में अभियुक्त्री का यह कृत्य किसी भी प्रकार से दया का पात्र नहीं रही। न्यायालय ने टिप्पणी करते हुए लिखा कि अपने ही पति की सोती हुई अवस्था में पारिवारिक विवाद के चलते इस प्रकार की निर्मम हत्या किये जाने की अभियुक्त्री की दया बरतने से सामाजिक ताना बाना प्रभावित होगा। अतः अभियुक्त्री के कृत्य को देखते हुए उसे आजन्म कारावास एवं ५००० रूपये के अर्थदण्ड से दण्डित किया जाता है।
अभियोजन पक्ष की ओर से श्री तरूणदास वैरागी ने पैरवी की।
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लोक अभियोजक तरूणदास वैरागी ने जानकारी देते हुए बताया कि जिले के सुहागपुरा थाने में प्रार्थी उंकार पिता नागजी मीणा निवासी धारियाखेडी ने एक लिखित रिपोर्ट इस आशय की पेश की कि दिनांक १५.०५.२०१६ को रात्री में वह चोक में सोया हुआ था और पडाल में उसका लडका भैरू पत्नी दूर्गा सोये हुए थे कि ११ः०० बजे उसने चिल्लाने की आवाज सुनी तो देखा की दूर्गा ने कुल्हाडी से भैरू को मार दिया और भैरू लहुलुहान पडा था। कुल्हाडी फेंककर दूर्गा वहां से भाग गई। इस पर पुलिस ने प्रकरण संख्या ५१/१५ अन्तर्गत धारा ३०२ आईपीसी में प्रकरण दर्ज कर अनुसंधान प्रारम्भ किया। मौके से कुल्हाडी खून आलूदा मिट्टी लेकर अभियुक्ता को अगले दिन डिटेन किया। अभियुक्ता उस समय साढे सत्रह वर्ष की नाबालिग होने से उसे उदयपुर बाल सम्प्रेषण गृह में भेजा गया। बाद में अभियुक्ता के मानसिक व शारिरीक परीक्षण कर किशोर न्याय बोर्ड ने नये कानून में संशोधन के तहत उसकी ट्रायल बालिग की तरह किये जाने का निर्णय किया। जिससे सेशन कोर्ट में प्रकरण कमिट होकर अभियुक्ता के विरूद्ध विचारण प्रारम्भ हुआ।
अभियोजन पक्ष की ओर से ११ गवाह एवं २१ दस्तावेजी साक्ष्य न्यायालय में प्रस्तुत किये गये। दोनों पक्षों की बहस सुनकर न्यायालय ने अभियोक्त्री को दोषसिद्ध माना व सजा के बिन्दू पर सुनवाई कर न्यायालय के मत में अभियुक्त्री का यह कृत्य किसी भी प्रकार से दया का पात्र नहीं रही। न्यायालय ने टिप्पणी करते हुए लिखा कि अपने ही पति की सोती हुई अवस्था में पारिवारिक विवाद के चलते इस प्रकार की निर्मम हत्या किये जाने की अभियुक्त्री की दया बरतने से सामाजिक ताना बाना प्रभावित होगा। अतः अभियुक्त्री के कृत्य को देखते हुए उसे आजन्म कारावास एवं ५००० रूपये के अर्थदण्ड से दण्डित किया जाता है।
अभियोजन पक्ष की ओर से श्री तरूणदास वैरागी ने पैरवी की।
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