Youth commits suicide by swallowing poison of domestic dispute - घरेलू कलह के जहर निगलकर युवक ने की आत्महत्या
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घरेलू कलह के जहर निगलकर युवक ने की आत्महत्या
बंडा। घरेलू कलह के चलते एक युवक ने जहर निगलकर आत्महत्या कर ली। परिजनों ने शव का पोस्टमार्टम नहीं कराया। बता दें कि युवक की उम्र तकरीबन 35 साल थी। वह इकलौता था। करीब चार साल पहले उसकी शादी हुई थी। शनिवार रात उसने जहर निगल लिया। मुंह से झाग निकलने पर उसके परिजनों को घटना की जानकारी हुई। परिजन तुरंत युवक को लेकर अस्पताल गए। वहां डाक्टरों ने प्राथमिक उपचार किया, फिर गंभीर हालत को देखते हुए बाहर ले जाने के लिए कहा। बताया जा रहा है कि बरेली पहुंचते ही युवक की मौत हो गई। घर आए शव को देख परिजनों का रो-रोकर हाल बेहाल हो गया।
यूपी विधानसभा चुनाव परिणाम: शाहजहांपुर में बीजेपी की जीत के बने तीन रिकॉर्ड, आजादी के बाद पहली बार जलालाबाद सीट पर खिला कमल
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शाहजहांपुर जिले में 2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा की जीत के तीन रिकॉर्ड बने हैं। शाहजहांपुर शहर सीट पर लगातार नौवीं बार जीतकर सुरेश कुमार खन्ना ने प्रदेश में रिकार्ड बनाया है। वह 1989 से लगातार जीत रहे हैं। इसी तरह से भाजपा ने जलालाबाद सीट पर आजादी के बाद पहली बार जीत हासिल की। साथ ही पहली बार छह सीटें भी भाजपा की झोली में आई।
दो चुनाव हारे, नौ चुनाव जीते सुरेश कुमार खन्ना
शाहजहांपुर सीट पर सुरेश कुमार खन्ना शुरू के दो चुनाव हार गए थे। उन्होंने 1989 में भाजपा का टिकट हासिल किया, तब से लेकर आज तक सुरेश कुमार खन्ना को लगातार जीत हासिल होती रही। 2022 के चुनाव में उन्होंने नौवीं बार जीत हासिल कर प्रदेश में सबसे ज्यादा बार जीतने का रिकार्ड ही बना दिया।
जलालाबाद में हार का मिथक टूटा, पहली बार मिली जीत
जलालाबाद सीट पर आजादी के बाद से भाजपा कभी जीती ही नहीं थी। 2022 के चुनाव में भाजपा ने जलालाबाद सीट पर अपना नया रिकार्ड कायम कर जीत हासिल कर ली। यहां 2017 के चुनाव में पहली बार भाजपा दूसरे नंबर पर रही थी। 2022 के चुनाव में भाजपा पहले नंबर पर रही। हरिप्रकाश वर्मा विधायक बने।
पहली बार छह ही छह सीटों पर भाजपा का कब्जा
पहली बार भाजपा ने जिले में सपा का सूपड़ा साफ कर दिया। सभी सीटों पर भाजपा का कब्जा हो गया। सपा के आखिरी किले जलालाबाद को भी भाजपा ने फतेह कर लिया। इससे पहले किसी भी अन्य दल ने छह ही छह सीटें कभी नहीं जीतीं। 2012 में सपा के पास तीन, बसपा के पास दो और भाजपा के पास एक सीट थी। 2017 में पांच सीट भाजपा और एक सीट जलालाबाद की सपा के पास थी।
शाहजहांपुर में भाजपा की जीत के बने तीन रिकार्ड
शाहजहांपुर। जिले में 2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा की जीत के तीन रिकार्ड बने हैं। यहां शाहजहांपुर सीट पर लगातार नौवीं बार जीत कर सुरेश कुमार खन्ना ने प्रदेश में रिकार्ड बनाया है। वह 1989 से लगातार जीत रहे हैं। इसी तरह से भाजपा ने जलालाबाद सीट पर आजादी के बाद पहली बार जीत हासिल की। साथ ही पहली बार छह सीटें भी भाजपा की झोली में आई।
दो चुनाव हारे, नौ चुनाव जीते सुरेश कुमार खन्ना
शाहजहांपुर सीट पर सुरेश कुमार खन्ना ने शुरू के दो चुनाव लड़े, लेकिन वह हार गए थे। उन्होंने 1989 में भाजपा का टिकट हासिल किया, तब से लेकर आज तक सुरेश कुमार खन्ना को लगातार जीत हासिल होती रही। 2022 के चुनाव में उन्होंने नौवीं बार जीत हासिल कर प्रदेश में सबसे ज्यादा बार जीतने का रिकार्ड ही बना दिया।
जलालाबाद में हार का मिथक टूटा, पहली बार मिली जीत
शाहजहांपुर जिले की जलालाबाद सीट पर आजादी के बाद से भाजपा कभी जीती ही नहीं थी। 2022 के चुनाव में भाजपा ने जलालाबाद सीट पर अपना नया रिकार्ड कायम कर जीत हासिल कर ली। यहां 2017 के चुनाव में पहली बार भाजपा दूसरे नंबर पर रही थी। 2022 के चुनाव में भाजपा पहले नंबर पर रही। हरिप्रकाश वर्मा विधायक बने।
पहली बार छह ही छह सीटों पर भाजपा का कब्जा
शाहजहांपुर जिले में पहली बार भाजपा ने सपा का सूपड़ा साफ कर दिया। सभी सीटों पर भाजपा का कब्जा हो गया। सपा के आखिरी किले जलालाबाद को भी भाजपा ने फतेह कर लिया। इससे पहले किसी भी अन्य दल ने छह ही छह सीटें कभी नहीं जीतीं। 2012 में सपा के पास तीन, बसपा के पास दो और भाजपा के पास एक सीट थी। 2017 में पांच सीट भाजपा और एक सीट जलालाबाद की सपा के पास थी।
बसपा और कांग्रेस दम ही नहीं दिखा पाई, केवल लड़ी सपा
शाहजहांपुर। 2022 के चुनाव में बसपा और कांग्रेस ने बस कहने को ताल ठोकी, लेकिन एक बार भी ऐसा नहीं हुआ कि दोनों पार्टियों के प्रत्याशी कोई दम दिखा पाते। शाहजहांपुर की सभी छह सीटों पर बसपा और कांग्रेस के प्रत्याशियों की स्थिति बेचारों जैसी थी। मतगणना के दौरान दोनों ही पार्टी के प्रत्याशियों के पास वोटों का अकाल पड़ गया। प्रत्येक सीट पर भाजपा से केवल सपा ही लड़ती मिली। भले ही सपा का किला ढह गया, लेकिन इस किले को बचाने के लिए सपा ने कोर कसर नहीं छोड़ी।
कटरा में कांग्रेस को सबसे ज्यादा वोट, बसपा की जमीन खिसकी
कटरा : कटरा में कांग्रेस ने भाजपा से बागी मुन्ना सिंह नवादा को प्रत्याशी बनाया। मुन्ना सिंह का पहले दिन से मकसद खुद के जीतने का नहीं, बल्कि भाजपा के वीर विक्रम सिंह को हराने का था। वह इतना वोट हासिल करना चाहते थे जिससे कि वीर विक्रम सिंह हार जाते। उनका मकसद किसी हद तक कामयाब रहा। केवल कटरा में ही कांग्रेस को सबसे ज्याा 17504 वोट मिले। मुन्ना सिंह की वजह से यह संभव भी हो पाया, वरना यहां कांग्रेस की हालत और खराब हो सकती थी। यही कारण है कि वीर विक्रम सिंह हारते हारते बचे। बसपा तो यहां अपनी वोटों की पुरानी जमीन तक नहीं बचा पाई। बसपा को कुल 15236 वोट मिले, जबकि 2017 के चुनाव में बसपा को करीब 47 हजार वोट मिले थे।
जलालाबाद में कांग्रेस और बसपा का बुरा हाल
जलालाबाद सीट पर कांग्रेस का सबसे बुरा हाल देखने को मिला। इस सीट पर कांग्रेस पांच बार जीत हासिल कर चुकी है। इस बार के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी गुरमीत कौर तो नोटा से भी हार गईं। बसपा तो यहां लग रहा था केवल नाम के लिए ही चुनाव में उतरी है। साधन संपन्न बसपा प्रत्याशी अनिरुद्ध यादव का चुनाव केवल डमी लग रहा था। यहां उन्हें 16 हजार वोट मिले, लेकिन यहां बसपा की जमीन खिसक गई। 2017 के चुनाव में बसपा को यहां 58 हजार से अधिक वोट मिले थे।
पुवायां में मजबूत आधार नहीं बना पाई कांग्रेस, बसपा
पुवायां सीट पर केवल एक बार ही बसपा उपचुनाव जीत सकी। उसके पहले और उसके बाद में बसपा हमेशा यहां हारती रही। वोट बैंक धीरे धीरे कम होकर कभी सपा तो कभी भाजपा के पाले में जाता रहा। यहां बसपा के बड़े पदाधिकारी उदयवीर सिंह चुनाव लड़े केवल साढ़े सोलह हजार वोट हासिल कर पाए। कांग्रेस प्रत्याशी अनुज कुमारी को पूरे ढाई हजार वोट भी नहीं मिले। यहां कांग्रेस के नेताओं का भी टोटा है। सीट खाली न जाए, इसलिए प्रत्याशी उतारे गए, लेकिन वह चुनाव कैसे लड़े, उनके वोटों की संख्या देख कर ही अंदाजा लगाया जा सकता है।
लड़की थी, लड़ने की नहीं, सीखने की कोशिश की
शाहजहांपुर सीट पर विधानसभा चुनाव का मतलब केवल भाजपा और सपा ही है। यहां कांग्रेस ने आशा कार्यकत्री पूनम पांडेय को प्रत्याशी बनाया। पर उनके चुनाव का प्रबंधन बेहद खराब था। मतदान के आठ दिन पहले से उन्होंने चुनाव लड़ना शुरू किया। अनुभवहीनता, प्रबंधन में कमी के कारण उनका चुनाव शुरू होने से पहले ही खत्म हो गया। पूनम पांडे हालांकि बहुत ही आत्मविश्वासी महिला हैं। वह न चुनाव से डरीं और न ही हार से। बोलीं, एक ही जीतता है, लेकिन सीखना बेहद जरूरी है। उन्हें 1382 वोट मिले, जिसे उन्होंने जनता का सम्मान बताया। बसपा प्रत्याशी सर्वेश चंद्र पूरे चुनाव भर अपना प्रचार कम और सुरेश खन्ना की प्रचार उनकी खिलाफत करके ज्यादा करते रहे।
कांग्रेस का खराब प्रदर्शन, बसपा की चमक भी गायब
ददरौल सीट पर कांग्रेस ने तनवीर खान को प्रत्याशी बनाया। वह अपनी ग्राम पंचायत भर का भी वोट हासिल नहीं कर पाए। 1436 वोट पर ही सिमट गए। वहां कहां वोट मांगने गए, कहां उनके वाहन चले, कुछ पता ही नहीं चल पाया। उन्होंने चुनाव भर टीवी डिबेट में खूब बहसबाजी कीं, लेकिन जनता को न समझा पाए और न ही वोट हासिल कर पाए। बसपा ने चंद्रकेतु को टिकट दिया, यह टिकट उनके पिता सत्यपाल मौर्या के नाम पर मिल गया, लेकिन मौका मिला था, उसे वह भुना नहीं पाए। बस प्रचार के नाम पर औपचारिकता करते दिखे। बसपा की चमक यहां गायब दिखी।
फ्री राशन, महिला का समर्थन, बसपा के वोट भाजपा की फतेह की वजह
शाहजहांपुर। जिले की सभी छह सीटों पर इस बार बसपा कोई कमाल नहीं दिखा पाई। यूं कहें कि बसपा अपने 2017 में मिले वोटों तक ही नहीं पहुंच पाई। बसपा के वोटों की तरावट भाजपा प्रत्याशियों को मिली। उसी का परिणाम है कि तमाम समीकरण ध्वस्त हो गए। बसपा का जो वोटबैंक भाजपा में गया, वह तमाम योजनाओं का लाभार्थी था। फ्री राशन, अन्य योजनाओं के लाभार्थियों ने भाजपा के वोट बैंक की सिंचाई कर दी, जिससे भाजपा की जीत की फसल लहलहा उठी। पूरा समीकरण समझने के लिए विधानसभा वार ब्योरा प्रस्तुत है। इस ब्योरे में अलग अलग सीट पर अलग अलग कारण भी भाजपा की जीत का आधार बने हैं।
कटरा बसपा का वोट कई जगह बंटा
कटरा सीट पर बसपा को 2017 में 47 हजार वोट मिला था। इस बार बसपा के पास लोकल प्रत्याशी नहीं था। बसपा के टिकट पर बोली लग रही थी। इसमें सफलता पाई भाजपा के विपक्षी ने। इस वोट बैंक को इंगेज करने के लिए जलालाबाद से राजेश कश्यप को लाया गया। पर वह 15 हजार वोट ही हासिल कर पाए। शेष करीब 32 हजार वोट का बंटवारा सपा और भाजपा के बीच हुआ, जिसमें माना जा रहा है कि बसपा के वोट बैंक का अधिक हिस्सा भाजपा में गया, यही कारण भाजपा प्रत्याशी तमाम नाराजगियों को झेलते हुए भी जीत के आंकड़े पर आ गए। कम वोटों से ही सही, लेकिन वह जीत गए।
जलालाबाद में सपा के वोटों को बटोर ले गई भाजपा
जलालाबाद सीट पर शरदवीर सिंह की वजह से एक बड़ा वोटबैंक भाजपा प्रत्याशी हरिप्रकाश वर्मा को मिला। भाजपा प्रत्याशी ने मनोज कश्यप की पत्नी सरोज कश्यप को भी सम्मान देने में चूक नहीं की। यही वजह थी कि यहां 2017 में भाजपा के 66 हजार वोटों का ग्राफ बढ़ कर एक लाख के करीब पहुंच गया। पहली बार यहां भाजपा का कमल खिला। इस सीट पर प्रचार करने के लिए सबसे बड़े मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आए थे। उन्होंने यहां बड़ी रैली कर तमाम योजनाओं का शुभारंभ और शिलान्यास किया था। तब उन्होंने कहा कि अगर जलालाबाद में भी भाजपा का विधायक होता तो बहुत कुछ यहां के लोगों को मिलता। इस वजह से भी लोगों ने भाजपा को भरपूर प्यार दिया।
विरोधियों ने एकजुटता दिखाई और हार गए रोशन
तिलहर सीट पर अच्छा समीकरण होने के बाद भी रोशनलाल वर्मा हार गए। यहां यह नहीं कहा जाएगा कि सपा हारी है। रोशनलाल वर्मा समीकरणों के कारण ही भाजपा छोड़ सपा में चले गए थे। वह अपनी जीत का दावा कर रहे थे, लेकिन उन्होंने तीन बार विधायक रहते हुए अपने राजनैतिक दुश्मनों की बड़ी फौज तैयार कर ली। उनकी गलत बयानी ने भी हार में बड़ी भूमिका अदा की। सुरेश खन्ना और जितिन प्रसाद को उन्होंने व्यक्तिगत तौर पर निशाना बनाया। जनता इस बात से भी बहुत नाराज थी। रोशनलाल वर्मा के खिलाफ एक बड़ा माहौल तैयार करने में भी उनके विरोधियों ने सफलता हासिल कर ली। मतदान के दिन से ही लोगों ने कहना शुरू कर दिया था कि रोशनलाल जीतेंगे नहीं। खिलाफत के गुलदस्ते में तमाम तरह के विरोधी शामिल हुए, और उन्हें हार का स्वाद चखा दिया।
मोदी और योगी के समीकरण ने दुबारा दिलाई जीत
पुवायां विधानसभा सीट ही थी, जिस पर भाजपा प्रत्याशी मतदान के दिन से अपनी जीत के प्रति पूरी तरह से आशावान थे। उन्होंने 2017 के चुनाव में 72 हजार वोट से जीत हासिल की थी। जीत के वोटों के पहाड़ तो कितना भी कोई कम करता, लेकिन उसे पार कर पाना आसान नहीं था। इस बार माना जा रहा है कि किसान आंदोलन की वजह से सिख वोटर छिटक कर सपा में चला गया, वही 23 हजार वोट सपा में प्लस हुआ। सपा को 2017 में 54 हजार वोट मिला था। 23 हजार सिख वोट मिलने से इस बार वोट सपा गया और कुल वोट सपा को 78 हजार के आंकड़े तक ले गया। भाजपा का वही वोट खिसका और 72 हजार के बजाय 51 हजार से जीत हुई। यहां मोदी और योगी फैक्टर काम किया।
विकास कार्यों के बल पर जीत की राह हुई आसान
2017 के बाद शाहजहांपुर शहर में जो विकास कार्य हुए, वह किसी से छिपे नहीं है। भले ही शाहजहांपुर के लोग इसे कम महसूस कर पाएं, लेकिन दूसरे जिलों से आने वाले लोग शाहजहांपुर के डेवलपमेंट को लेकर आश्चर्यचकित होते हैं। विरोधी भले ही कुछ कहें, लेकिन सुरेश कुमार खन्ना के प्रयासों को नजर अंदाज नहीं किया जा सकता है। भाजपा प्रत्याशी सुरेश कुमार खन्ना का चुनाव प्रबंधन हर बार बेहतर से बेहतर रहता है। उसी का परिणाम है कि तमाम समीकरण होने के बाद भी सपा को यहां लगातार हार का सामना करना पड़ रहा है। सुरेश कुमार खन्ना को लोग विकास के मुददे पर 2022 देने में लगे। सपा प्रत्याशी को अपनी खामियों को दूर नहीं कर पाए, कुप्रंबधन उनकी हार कर कारण बना।
महिलाओं का वोट भाजपा की जीत को आसान कर गया
ददरौल सीट पर लोगों ने भाजपा प्रत्याशी को भलमनसाहत पर फिर से वोट दिया। हालांकि कुछ लोगों ने मानवेंद्र सिंह के खिलाफ एक अभियान भी चलाया, लेकिन इस अभियान का उनके बेटों ने मिलकर मुकाबला किया, बेटों को जिन लोगों को शिकायतें थीं, उन सभी से मिलकर उनके बेटों ने गिले शिकवे दूर किए। नाराज लोगों को मनाया। सपा प्रत्याशी के विरोधियों का बाखूबी इस्तेमाल हुआ। प्रभावशाली नेताओं की सभाएं कराईं। साथ ही महिलाओं का सबसे ज्यादा वोट भी भाजपा को मिला। महिलाओं में वोटिंग के प्रति उत्साह तो ददरौल विधानसभा सीट पर ही देखने को मिला। जीत का बड़ा आधार प्रदेश और केंद्र सरकार की योजनाएं भी थीं। यही कारण था कि यादव बाहुल्य, किसान बाहुल्य बूथों पर भी मानवेंद्र सिंह को बराबर वोट मिले।
ट्रक की टक्कर से ग्रामीण की मौत
शाहजहांपुर। सेहरामऊ दक्षिणी थाना क्षेत्र में गुरुवार सुबह हादसा हो गया। खेत पर जा रहे जलालपुर गांव निवासी लालाराम को ट्रक ने टक्कर मार दी। हादसे में घायल लालाराम की मेडिकल कालेज में उपचार के दौरान मौत हो गई। पुलिस ने शव को सील कर पोस्टमार्टम के लिए भेजा। लालाराम की उम्र तकरीबन 48 साल थी। वह खेतीबाड़ी करते थे। उनकी मौत से परिवार में कोहराम मच गया। शव को देख हर किसी की आंखों से आंसुओं का दरियां बह निकला। परिजनों ने बताया कि मृतक की पत्नी लीलावती गुमसुम हो गई हैं। बेटी की शादी हो चुकी है। बेटे राजवीर बेसुध हो गया है।
स्कूल प्रबंधक ने छात्र को मारा थप्पड़, वीडियो वायरल
बंडा। एक कालेज में स्कूल प्रबंधक के बेटे ने छात्र से अभद्र भाषा का प्रयोग किया। और प्रबंधक ने छात्र को थप्पड़ मार दिया। इसके बाद बातचीत बढ़ गई। प्रबंधक ने पुलिस बुलाई। जब भी मामला शांत नहीं हुआ। तब मामले की सूचना बंडा थाने में दी गई। दरोगा पुलिस बल के साथ स्कूल पहुंचे। मामले को शांत कराया, लेकिन मामले की वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गई। इस संबंध में थाना प्रभारी मनोज कुमार ने बताया कि मोबाइल को लेकर कुछ विवाद हुआ था। बाद में दोनों में समझौता हो गया।